ध्येय मार्ग

 



कभी कभी पैसा और प्रतिष्ठा को लेकर लोग लड़ने लगते हैं और उस लड़ाई में नये मोड़ भी आने शुरू हो जाते हैं; कहीं कहीं पर तो लोगों की जिंदगी ही उस लड़ाई को एक निर्णायत्मक मोड़ तक पहुँचाने में बीत जाया करे ,फिर भी उस लड़ाई में विराम चिन्ह नहीं लगता | कई व्यक्ति ऐसे भी होंगे जिन्हें न तो पैसों की चिंता है और न ही प्रतिष्ठा की; उन्हें सिर्फ़ दिव्य मार्ग पर चलते चलते एक ध्रुव सत्य को खोजना है और खोजे गये उस सत्य के बारे में सबको बताना है | ऐसे लोग किसी भी प्रकार की पीड़ा की परवाह न करते हुए अपने ध्येय मार्ग पर अडिग रहा करेंगे और समरूप से प्रशंसा और निंदा की स्थिति में अपना मानसिक संतुलन भी बनाए रखेंगे | उन्हें यह भी शायद ही महसूस होता होगा कि उनकी बातें और अनुभवों को समझनेवालों की संख्या क्या है: यह सफ़र गुण तत्व से ही प्रेरित हुआ करता है . न कि संख्या तत्व से या फिर विस्तार तत्व से |

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