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जीवात्मा परमात्मा का अंश है- ‘ममैवांशो जीवलोके’। इसलिये जब उसमें अपने अंशी परमात्मा को प्राप्त करने की भूख जाग्रत होती है और उसकी पूर्ति न...
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जिसे हम सामान्यतः जीव या आत्मा कहते हैं वह हमारे अंदर रहने वाला कामनामय पुरुष है जो प्रकृति के कार्यों पर पुरुषचैतन्य का प्रतिबिम्ब है। यथ...
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सांख्ययोगौ पृथग्बालाः प्रवदन्ति न पंडिताः । एकमप्यास्थितः सम्यगुभयोर्विन्दते फलम् ।। 5.4 ।। बेसमझ लोग सांख्ययोग और कर्मयोग को अलग-अलग फल व...
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