गीता प्रवचन का हिन्दी अनुवाद पढ़ें
आज से मै
श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में
कहने वाला हूँ। गीता का और मेरा
सम्बन्ध तर्क से परे है।
मेरा शरीर मां के दूध पर
जितना पला है, उससे कहीं अधिक मेरे हृदय और बुद्धि का
पोषण गीता के दूध पर
हुआ है। जहाँ हार्दिक सम्बन्ध होता है, वहाँ तर्क की गुंजाइश नहीं
रहती। तर्क को काटकर श्रद्धा
और प्रयोग, इन दो पंखों
से ही मैं गीता-गगन में यथाशक्ति उड़ान भरता रहता हूँ। मैं प्रायः गीता के वातावरण में
रहता हूँ। गीता मेरा प्राणतत्त्व है। जब मैं गीता
के सम्बन्ध में किसी से बात करता
हूँ, तब गीता-सागर
पर तैरता हूँ और जब अकेला
रहता हूँ तब उस अमृत-सागर में गहरी डुबकी लगाकर बैठ जाता हूँ। ऐसे इस गीता माता
का चरित्र मै हर रविवार
को आपको सुनाऊं, यह तय हुआ
है। 2.गीता की योजना महाभारत
में की गयी है।
गीता महाभारत के मध्य भाग
में एक ऊँचे दीपक
की तरह स्थित है, जिसका प्रकाश पूरे महाभारत पर पड़ रहा
है। एक ओर छह
पर्व और दूसरी ओर
बारह पर्व, इनके मध्यभाग में; उसी तरह एक ओर सात
अक्षौहिणी सेना और दूसरी ओर
ग्यारह अक्षौहिणी, इनके भी मध्य भाग
में गीता का उपदेश दिया
जा रहा है। 3.महाभारत और रामायण हमारे
राष्ट्रीय ग्रन्थ हैं। उनमें वर्णित व्यक्ति हमारे जीवन में एकरूप हो गये हैं।
राम, सीता, धर्मराज, द्रौपदी, भीष्म, हनुमान आदि रामायण-महाभारत के चरित्रों ने
सारे भारतीय जीवन को हज़ारों वर्षों
से मंत्रमुग्ध सा कर रखा
है। संसार के अन्य महाकाव्यों
के पात्र इस तरह लोक
जीवन में घुले-मिले नहीं दिखायी देते। इस दृष्टि से
महाभारत और रामायण निस्संदेह
अद्भुत गन्थ हैं। रामायण यदि एक मधुर नीतिकाव्य
है, तो महाभारत एक
व्यापक समाजशास्त्र। व्यास देव ने एक लाख
संहिता लिखकर असंख्य चित्रों, चरित्रों और चारित्र्यों का
यथावत चित्रण बड़ी कुशलतासे किया है। बिल्कुल निर्दोष तो सिवा एक
परमेश्वर के कोई नहीं
है, यह बात महाभारत
बहुत स्पष्टता से बता रहा
है। एक और जहाँ
भीष्म, युधिष्ठिर जैसों के दोष दिखाये
हैं, तो दूसरी और
कर्ण-दुर्योधनादि के भी गुणों
पर प्रकाश डाला गया है। महाभारत बतलाता है कि मानव-जीवन सफेद और काले तंतुओं
का एक पट है।
अलिप्त रहकर भगवान व्यास जगत के-विराट संसार
के-छाया-प्रकाशमय चित्र दिखलाते हैं। व्यासदेव के इस अत्यंत
अलिप्त और उदात्त ग्रंथन-कौशल के कारण महाभारत
ग्रंथ मानो एक सोने की
बड़ी भारी खान बन गया है।
उसका शोधन करके भरपूर सोना लूट लिया जाये।